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Satvahan Vansh सातवाहन वंश । Indian History GK | MPPSC, UPSC, State PSC...

 सातवाहन वंश 

भारतीय राजवंशो  के इतिहास में सातवाहन वंश  महत्त्वपूर्ण   स्थान रखता है।  सातवाहन वंश  से सम्बंधित सभी महत्त्वपूर्ण  तथ्य निम्नलिखित हैं :-


1. 60 ई० पू ०  सिमुक ने कण्व  वंशी सुशर्मन की हत्या कर सातवाहन वंश की स्थापना की। 
 
2. इसे आंध्र भृत्य  भी कहा जाता था।
 
3. इस वंश ने भारतीय इतिहास में सबसे लंबे काल तक शासन किया है।
 
4. इसकी राजधानी प्रतिष्ठान थी, जो कि गोदावरी नदी के तट पर थी।
 
5. 37 ई० पू ० सिमुक की मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई कृष्ण, जिसे कान्हा भी कहा जाता था राजगद्दी पर बैठा 
 और उसने लगभग 18 वर्ष तक शासन किया।
 
6. कृष्ण के बाद उसका पुत्र शातकर्णी इस वंश का शासक बना।
 
7. वह इस वंश का पहला महत्वपूर्ण शासक था।
 
8. शातकर्णी ने दो अश्वमेघ एक राजसूय यज्ञ संपन्न कर सम्राट की उपाधि धारण की। 
 
9. इसके अलावा इसने  दक्षिणापथपति एवं अप्रतिहतचक्र  की उपाधि धारण की। 
 
10. जानकारी यह भी है कि इस वंश के शासकों को दक्षिणापथपति और इनके प्रदेश को दक्षिणा पथ कहा जाता था। 
 
11. इस की रानी नागणीका थी जिसके अभिलेख "नानाघाट" से शातकर्णी की उपलब्धियों की जानकारी मिलती है इसी अभिलेख से भूमि दान का पहला साक्ष मिलता है। 

12. श्रीसात  नाम की प्राप्त मुद्राओं से इस वंश द्वारा पश्चिम मालवा पर अधिकार का पता चलता है।  इसके अलावा इन्होंने अनूप प्रदेश व विदर्भ पर भी विजय प्राप्त की थी। 

13. शातकर्णी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी नागणीका ने संरक्षिका के रूप में शासन किया क्योंकि दोनों पुत्र अल्पायु थे। 
14. इस वंश में शातकर्णी से लेकर गौतमीपुत्र शातकर्णी जैसे महान शासकों ने शासन किया। 
 
15. इनमें हाल का स्थान महत्वपूर्ण है।  वह एक बड़ा कवि व कवियों एवं विद्वानों का आश्रय दाता था।  
 
16. इसने गाथासप्तशती  नामक मुक्तक काव्य की रचना की। 
 
17. इसकी राज्यसभा में वृहद्कथा  के रचयिता गुणाढ्य संस्कृत व्याकरण के लेखक सर्ववर्मन रहा करते थे। 
 
18. कालांतर में हाल ने लंका के शासक की पुत्री लीलावती से विवाह कर लिया।

19. हाल के बाद गौतमीपुत्र शातकर्णी इस वंश का महानतम शासक रहा इनकी मां बल-श्री थी। 
 
20. जिनके अभिलेखों से पता चलता है कि, इन्हें एक मात्र ब्राह्मण एवं अद्वितीय ब्राह्मण भी कहा जाता था। इन्हीं अभिलेखों के अनुसार इन्हें त्रि-समुद्र-तोय-पिता-वाहन भी कहा जाता था, क्योंकि इनके घोड़े ने तीनों समुद्रों का पानी पिया था।
 
21. नासिक के जोगलथंबी से चांदी के 8000 सिक्के मिले हैं जिसमें एक तरफ नहपान तथा दूसरी तरफ गौतमीपुत्र शातकर्णी का नाम है। 
22. इसने वेंकटस्वामी विंध्य नरेश व् राजाराज की उपाधि धारण की।
 
23. गौतमीपुत्र शातकर्णी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र वशिष्टिपुत्र  पुलमावि राजा बना।

24. शक शासक रुद्रदामन ने वशिष्टिपुत्र  पुलमावि को दो बार पराजित किया।
 
25. इस वंश का अंतिम महान शासक यज्ञश्री शातकर्णी था। इसके इसके सिक्कों पर नाव का चित्र अंकित था ।

26. यज्ञश्री के पहले शिवस्कंंध शातकर्णी ने शासन किया।

27. इस वंश का अंतिम शासक विजय शातकर्णी।

नोट :- यह ध्यान रहे कि  इस वंश का  अंतिम शासक विजय शातकर्णी था, किन्तु अंतिम " महान " शासक यज्ञश्री शातकर्णी था।


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