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शक वंश का प्रमुख शासक | शक कौन थे ? |Shak Vansh Important Points

शक वंश के प्रमुख तथ्य : शक वंश का उद्गम प्राचीन मध्य एशिया से मन जाता रहा है | ये मूलतः सीरिया के निवासी थे | शकों से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं :- शक शासक सीरिया के उत्तर से बोलन दर्रे से होते हुए भारत आये थे।  यूनानियों की अपेक्षा शकों ने भारत के बड़े भाग पर नियंत्रण किया।  चीनी ग्रंथो में उन्हें सई या सईबाघ कहा गया है।  शक राजा अपने आप को क्षत्रप कहते थे।  शासन के आधार पर इनकी दो शाखाएं थी :  उत्तरी क्षत्रप (तक्षिला और मथुरा ) पश्चिमी क्षत्रप (नासिक और उज्जैन ) दक्षिण के क्षत्रप अधिक प्रसिद्द थे।  पश्चिमी क्षत्रपों में क्षहरात वंश (नासिक) का क्षत्रप नहपान बहुत प्रसिद्द था।  नहपान अपने सिक्कों में खुद को राजा लिखता था।  भारत में रुद्रदामन ,शक वंश का सबसे प्रसिद्द राजा हुआ।  पूर्वी भारत में  शकों ने लगभग 4 सदियों तक शासन करने में सफल रहे।  इनका सबसे प्रथम राजा रुद्रदामन प्रथम ( 130 - 150 ई ) जो सिंध, कोंकण,नर्मदा घाटी , मालवा, काठियावाड़ और गुजरात के बड़े भू भागों में शासन किया करते थे।  मौर्या काल की उल्लेखनीय ...

Indo Greek kingdom हिंद यवन काल

Indo Greek kingdom, हिंद यवन काल Indo-Greek Kingdom / हिंद-यवन काल (Indo-Greek Period) हिंद-यवन काल भारतीय उपमहाद्वीप में एक अनोखा समय था, जब यूनानी शासकों ने भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों पर शासन किया और भारतीय संस्कृति के साथ यूनानी संस्कृति का अद्भुत संगम हुआ। इसे हम इंडो-ग्रीक साम्राज्य या हिंद-यवन साम्राज्य के नाम से जानते हैं। 🗺️ समयकाल: लगभग 200 ई.पू. से 10 ई.पू. तक। 📍 राजधानी: प्रारंभ में बैक्ट्रिया (वर्तमान अफगानिस्तान) बाद में तक्षशिला , पुष्कलावती , सागरद्वीप , आदि। ⚔️ प्रमुख शासक (Famous Indo-Greek Rulers): 1. डेमिट्रियस (Demetrius I) भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम यूनानी शासक। ने भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों पर अधिकार किया। 2. मेनांडर (Menander I / मिलिंद) सबसे प्रसिद्ध इंडो-ग्रीक शासक। बौद्ध धर्म में दीक्षित हुआ। मिलिंद पन्हा (Milind Panha) नामक ग्रंथ में बौद्ध भिक्षु नागसेन से उसकी संवादात्मक चर्चा वर्णित है। उसकी राजधानी संभवतः सागरद्वीप (Sagala) थी। 3. एपोलोडोटस I स्वतंत्र रूप से भारत में शासन करने वाला पहला यूनानी शासक। सिक्को...

Vakatak Vansh वाकाटक वंश । Sansthapak | Antim Shasak | Important points

वाकाटक वंश सातवाहनों के पतन के बाद वाकाटक वंश दक्कन की एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरा इस वंश से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य  निम्नलिखित हैं : 1. वाकाटक वंश का संस्थापक विंध्यशक्ति था। (250 -270 ई)    2. इसकी तुलना इंद्र व विष्णु से की जाती थी।   3. यह एक ब्राह्मण वंश था व इसकी राजधानी नंदीवर्धन ( नागपुर) थी 4. इसका उत्तराधिकारी हरीशि पुत्र प्रवरसेन  I था।  5. इसने महाराज की उपाधि धारण की।    6. इसके द्वारा कुल 7 यज्ञ  करवाए गए जिनमे से चार अश्वमेघ यज्ञ थे।    7. यह साम्राज्य नागपुर व बरार दो भागों में विभक्त हो गया।    8. प्रवरसेन के राज में इस वंश के राज्य का विस्तार बुंदेलखंड से प्रारंभ होकर दक्षिण में हैदराबाद तक फैल गया।    9. इसी वंश के रूद्रसेन I I ने गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त I I की पुत्री प्रभावती से विवाह किया।    10. रूद्रसेन के मरने के बाद करीब 13 वर्ष तक प्रभावती ने चंद्रगुप्त द्वितीय की सहायता से अपने पुत्र की संरक्षिका के रूप में शासन किया।    11. प्रभावती के पुत्र दामोदर...

Kanv Vansh कण्व वंश । कण्व वंश (Kanva Dynasty) का इतिहास

कण्व वंश (Kanva Dynasty) का इतिहास कण्व वंश की स्थापना कण्व वंश की स्थापना वासुदेव (Vasudeva) ने की थी। यह वंश शुंग वंश (Shunga Dynasty) के अंतिम शासक देवभूति (Devabhuti) को पराजित कर सत्ता में आया। कण्व वंश ने लगभग 75 BCE से 30 BCE तक शासन किया। यह वंश ब्राह्मण जाति से संबंधित था, इसलिए इसे ब्राह्मण वंश भी कहा जाता है। कण्व वंश के प्रमुख शासक 1. वासुदेव (Vasudeva) (75 BCE - 66 BCE) कण्व वंश का संस्थापक था। उसने अंतिम शुंग शासक देवभूति की हत्या कर शासन की बागडोर संभाली। पाटलिपुत्र (Patliputra) को अपनी राजधानी बनाया। 2. भौमिमित्र (Bhumimitra) (66 BCE - 52 BCE) वासुदेव का उत्तराधिकारी था। उसने अपने शासनकाल में शुंग वंश के कई परंपराओं को जारी रखा। 3. नारायण (Narayana) (52 BCE - 40 BCE) भौमिमित्र का उत्तराधिकारी था। शासनकाल में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने लगी। 4. सुशर्मन (Susharman) (40 BCE - 30 BCE) कण्व वंश का अंतिम शासक था। 30 BCE में आंध्र सातवाहन वंश के संस्थापक सिमुक (Simuka) ने इसे हराकर कण्व वंश का अंत कर दिया। कण्व वंश की विशेषताएँ शुंगों की तरह...

शुंग वंश (Shunga Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु | Shung Vansh शुंग वंश

शुंग वंश (Shunga Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु शुंग वंश की स्थापना शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग (Pushyamitra Shunga) ने की थी। उसने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ मौर्य की हत्या करके 185 BCE में इस वंश की नींव रखी। यह वंश मुख्यतः उत्तर भारत और मध्य भारत में फैला हुआ था। शुंग वंश का शासन लगभग 185 BCE से 75 BCE तक चला। शुंग वंश के प्रमुख शासक 1. पुष्यमित्र शुंग (Pushyamitra Shunga) (185 BCE - 149 BCE) शुंग वंश का संस्थापक। उसने यवन (Indo-Greeks) और शक आक्रमणकारियों को हराया। उसने अश्वमेध यज्ञ करवाया, जिससे उसकी शक्ति सिद्ध होती है। उसकी सेना का सेनापति वसुज्येष्ठ था। उसने बौद्ध धर्म के प्रति कठोर नीतियाँ अपनाई, लेकिन कुछ बौद्ध ग्रंथों में इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। विदिशा में भोजराज मंदिर का निर्माण करवाया। 2. अग्निमित्र शुंग (Agnimitra Shunga) (149 BCE - 141 BCE) पुष्यमित्र शुंग का पुत्र और उत्तराधिकारी। कालिदास के संस्कृत नाटक "मालविकाग्निमित्र" (Malavikagnimitram) में उसका उल्लेख मिलता है। विदर्भ के शासकों से युद्ध किया। 3. वसुमित्र (Vasum...

Nand vansh ka pramukh shasak kaun Tha | Nand Vansh | नंद वंश

नन्द वंश से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य 1. नन्दवंश की स्थापना सम्राट  महापद्मनंद ने 344 ई.पू. की।  2. पुराणों में महापद्मनंदको सर्वक्षत्रांतक तथा  भार्गव कहा गया है । 3.  सम्राट महापद्मनंद ने निकटवर्ती सभी राजवंशो को जीतकर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। 4. सम्राट महापद्मनंद को ही नन्द वंश का प्रमुख शासक माना जाता है। 5. सम्राट महापद्मनंद ने ही केंद्रीय शासन की व्यवस्था लागू की इसीलिए सम्राट महापदम नंद को " केंद्रीय शासन पद्धति का जनक " कहा जाता है।  6. महापद्मनंद के 8 पुत्र थे , जिनमे धनानंद , सिकंदर के समकालीन था। 7. धनानन्द एक लालची था।  8. असीम शक्ति और सम्पत्ति के बावजूद वह प्रजा  के विश्वाास को नहीं जीत सका । 9. उसने महान विद्वान कूटनीतिज्ञ चाणक्य को अपमानित किया था ।  10. जिसके पश्चात चाणक्य ने अपनी कूटनीति से चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ मिलकर धनानन्द को पराजित कर उसकी हत्या  की  और चन्द्रगुप्त मौर्य  को मगध का शासक बनाया । 11. यूनानी लेखकों ने धनानंद को अग्रमीज कहा है।

Shishunag Vansh शिशुनग वंश ।शिशुनाग वंश (Shishunaga Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु

शिशुनाग वंश (Shishunaga Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु शिशुनाग वंश की स्थापना शिशुनाग वंश की स्थापना शिशुनाग (Shishunaga) ने की थी। यह वंश मगध साम्राज्य का दूसरा शाही वंश था। शिशुनाग वंश ने हर्यक वंश (Haryanka Dynasty) के अंतिम शासक नागदासक (Nagadaska) को हटाकर सत्ता प्राप्त की। इस वंश का शासनकाल लगभग 413 BCE से 345 BCE तक रहा। शिशुनाग वंश के प्रमुख शासक 1. शिशुनाग (Shishunaga) (413 BCE - 395 BCE) इस वंश का संस्थापक था। राजधानी: पहले राजगीर (Rajgir), बाद में पाटलिपुत्र (Patliputra) । उसने अवंति राज्य (Ujjain) को मगध में मिलाया , जिससे मगध सबसे शक्तिशाली राज्य बन गया। कोशल, काशी और विदेह को अपने शासन में शामिल किया। 2. कालाशोक (Kalasoka) (395 BCE - 367 BCE) शिशुनाग का उत्तराधिकारी था। दूसरी बौद्ध संगीति (Second Buddhist Council) का आयोजन वैशाली में किया। उसके शासनकाल में मगध पर कई बाहरी आक्रमण हुए। अंततः नंद वंश (Mahapadma Nanda) के विद्रोहियों ने उसे मारकर सत्ता हासिल कर ली। शिशुनाग वंश की विशेषताएँ राजधानी परिवर्तन शिशुनाग ने राजधानी राजगीर से पाटलिपु...

Haryak Vansh हर्यक वंश । हर्यक वंश (Haryanka Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु

हर्यक वंश (Haryanka Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु हर्यक वंश की स्थापना हर्यक वंश की स्थापना बिंबिसार (Bimbisara) ने 544 BCE में की थी। यह मगध साम्राज्य का प्रथम राजवंश था। इस वंश का शासनकाल लगभग 544 BCE से 413 BCE तक रहा। राजधानी: राजगीर (Rajgir) हर्यक वंश के प्रमुख शासक 1. बिंबिसार (Bimbisara) (544 BCE - 492 BCE) हर्यक वंश का संस्थापक और सबसे शक्तिशाली शासक। उसने मगध को एक महाशक्ति बनाने के लिए विवाह नीति अपनाई। कोशल राज्य की राजकुमारी महाकोशला देवी से विवाह किया, जिससे उसे काशी का राजस्व प्राप्त हुआ। लिच्छवी गणराज्य की राजकुमारी चेल्लना से विवाह किया, जिससे वैशाली पर प्रभाव बढ़ा। मद्र देश की राजकुमारी से विवाह किया। अजातशत्रु (Ajatashatru) ने बिंबिसार की हत्या कर दी और सत्ता हथिया ली। 2. अजातशत्रु (Ajatashatru) (492 BCE - 460 BCE) बिंबिसार का पुत्र जिसने सत्ता पाने के लिए अपने पिता की हत्या कर दी। उसने वैशाली (लिच्छवी गणराज्य) और काशी पर विजय प्राप्त की । राजगीर (Rajgir) को मजबूत किला बनवाया। उसके समय में गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी का प्रभाव बढ़ा...