हर्यक वंश (Haryanka Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु
हर्यक वंश की स्थापना
- हर्यक वंश की स्थापना बिंबिसार (Bimbisara) ने 544 BCE में की थी।
- यह मगध साम्राज्य का प्रथम राजवंश था।
- इस वंश का शासनकाल लगभग 544 BCE से 413 BCE तक रहा।
- राजधानी: राजगीर (Rajgir)
हर्यक वंश के प्रमुख शासक
1. बिंबिसार (Bimbisara) (544 BCE - 492 BCE)
- हर्यक वंश का संस्थापक और सबसे शक्तिशाली शासक।
- उसने मगध को एक महाशक्ति बनाने के लिए विवाह नीति अपनाई।
- कोशल राज्य की राजकुमारी महाकोशला देवी से विवाह किया, जिससे उसे काशी का राजस्व प्राप्त हुआ।
- लिच्छवी गणराज्य की राजकुमारी चेल्लना से विवाह किया, जिससे वैशाली पर प्रभाव बढ़ा।
- मद्र देश की राजकुमारी से विवाह किया।
- अजातशत्रु (Ajatashatru) ने बिंबिसार की हत्या कर दी और सत्ता हथिया ली।
2. अजातशत्रु (Ajatashatru) (492 BCE - 460 BCE)
- बिंबिसार का पुत्र जिसने सत्ता पाने के लिए अपने पिता की हत्या कर दी।
- उसने वैशाली (लिच्छवी गणराज्य) और काशी पर विजय प्राप्त की।
- राजगीर (Rajgir) को मजबूत किला बनवाया।
- उसके समय में गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी का प्रभाव बढ़ा।
- प्रथम बौद्ध संगीति (First Buddhist Council) का आयोजन 483 BCE में राजगीर में करवाया।
3. उदयन (Udayin) (460 BCE - 440 BCE)
- अजातशत्रु का पुत्र।
- पाटलिपुत्र (Patliputra) की स्थापना की।
- कमजोर शासक था, जिससे मगध की शक्ति कम होने लगी।
4. अनिरुद्ध (Aniruddha), मुण्डका (Mundaka), नागदासक (Nagadaska) (440 BCE - 413 BCE)
- ये कमजोर शासक थे।
- नागदासक अंतिम शासक था, जिसे शिशुनाग ने हटा दिया और शिशुनाग वंश की स्थापना की।
हर्यक वंश की विशेषताएँ
-
राजधानी
- बिंबिसार और अजातशत्रु के समय राजधानी राजगीर थी।
- उदयन ने पाटलिपुत्र की स्थापना की, जो आगे चलकर भारत की सबसे महत्वपूर्ण राजधानी बनी।
-
युद्ध और विस्तार
- बिंबिसार और अजातशत्रु ने कोशल, काशी, लिच्छवी गणराज्य और अंग देश पर विजय प्राप्त की।
- अजातशत्रु ने वैशाली के लिच्छवियों को हराने के लिए "महाशिलाकांतक रथ" (युद्ध मशीन) का इस्तेमाल किया।
-
धर्म और संस्कृति
- हर्यक शासक बौद्ध धर्म और जैन धर्म से प्रभावित थे।
- अजातशत्रु ने प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया।
- इस काल में गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी का प्रभाव बढ़ा।
हर्यक वंश का पतन
- कमजोर शासकों और आंतरिक विद्रोहों के कारण हर्यक वंश कमजोर हुआ।
- 413 BCE में शिशुनाग ने नागदासक को हटा दिया और शिशुनाग वंश की स्थापना की।
निष्कर्ष
- हर्यक वंश मगध साम्राज्य का पहला राजवंश था।
- बिंबिसार और अजातशत्रु सबसे महत्वपूर्ण शासक थे।
- मगध का विस्तार हुआ और पाटलिपुत्र की स्थापना इस वंश की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
- अंततः शिशुनाग वंश ने इस वंश का स्थान ले लिया।
PDF के लिये इस लिंक पर क्लिक करें ----> Haryak Dynasty.pdf
रेगुलर जानकारियों के लिए , ब्लॉग को फॉलो करें और
0 Comments