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शुंग वंश (Shunga Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु | Shung Vansh शुंग वंश

शुंग वंश (Shunga Dynasty) के महत्वपूर्ण बिंदु

शुंग वंश की स्थापना

  • शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग (Pushyamitra Shunga) ने की थी।
  • उसने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ मौर्य की हत्या करके 185 BCE में इस वंश की नींव रखी।
  • यह वंश मुख्यतः उत्तर भारत और मध्य भारत में फैला हुआ था।
  • शुंग वंश का शासन लगभग 185 BCE से 75 BCE तक चला।

शुंग वंश के प्रमुख शासक

1. पुष्यमित्र शुंग (Pushyamitra Shunga) (185 BCE - 149 BCE)

  • शुंग वंश का संस्थापक।
  • उसने यवन (Indo-Greeks) और शक आक्रमणकारियों को हराया।
  • उसने अश्वमेध यज्ञ करवाया, जिससे उसकी शक्ति सिद्ध होती है।
  • उसकी सेना का सेनापति वसुज्येष्ठ था।
  • उसने बौद्ध धर्म के प्रति कठोर नीतियाँ अपनाई, लेकिन कुछ बौद्ध ग्रंथों में इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।
  • विदिशा में भोजराज मंदिर का निर्माण करवाया।

2. अग्निमित्र शुंग (Agnimitra Shunga) (149 BCE - 141 BCE)

  • पुष्यमित्र शुंग का पुत्र और उत्तराधिकारी।
  • कालिदास के संस्कृत नाटक "मालविकाग्निमित्र" (Malavikagnimitram) में उसका उल्लेख मिलता है।
  • विदर्भ के शासकों से युद्ध किया।

3. वसुमित्र (Vasumitra) (141 BCE - 131 BCE)

  • पुष्यमित्र शुंग का पोता।
  • उसने शुंग साम्राज्य को मजबूत किया और अश्वमेध यज्ञ की रक्षा की।

4. भगभद्र (Bhagabhadra) (लगभग 110 BCE - 90 BCE)

  • इसके शासनकाल में यवन आक्रमण बढ़ गए।
  • उसके समय में विदिशा में हेलिओडोरस (Indo-Greek राजदूत) आया और उसने गर्वद्वज स्तंभ (Heliodorus Pillar) बनवाया।

5. देवभूति (Devabhuti) (लगभग 83 BCE - 75 BCE)

  • शुंग वंश का अंतिम शासक।
  • विलासी और कमजोर शासक था।
  • उसके मंत्री वासुदेव कण्व ने उसकी हत्या कर कण्व वंश की स्थापना की।

शुंग वंश की विशेषताएँ

  1. धार्मिक योगदान

    • शुंग शासक वैदिक हिंदू धर्म को बढ़ावा देते थे।
    • बौद्ध धर्म पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन यह पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ।
    • शुंगों के समय में बौद्ध कला और स्थापत्य का भी विकास हुआ।
    • इस काल में सांची स्तूप और भारहुत स्तूप का निर्माण हुआ।
  2. युद्ध और सैन्य शक्ति

    • शुंगों ने यवन (इंडो-ग्रीक) आक्रमणकारियों को हराया।
    • पुष्यमित्र शुंग ने कश्मीर, पंजाब और मध्य भारत में अपनी सत्ता को मजबूत किया।
  3. संस्कृति और कला

    • इस काल में संस्कृत भाषा और ब्राह्मणवादी परंपराओं को बढ़ावा मिला।
    • गांधार और मथुरा कला का प्रारंभिक विकास हुआ।
  4. राजनीतिक पतन

    • अंतिम शुंग शासक देवभूति कमजोर था।
    • 75 BCE में कण्व वंश के वासुदेव ने उसका अंत कर दिया।

शुंग वंश का पतन

  • कमजोर उत्तराधिकारी और आंतरिक विद्रोहों के कारण शुंग वंश का पतन हुआ।
  • कण्व वंश (Kanva Dynasty) के मंत्री वासुदेव ने अंतिम शुंग राजा देवभूति को मारकर 75 BCE में शुंग वंश का अंत कर दिया।

निष्कर्ष

  • शुंग वंश ने मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत में वैदिक परंपराओं को पुनः स्थापित किया।
  • पुष्यमित्र शुंग सबसे शक्तिशाली शासक था।
  • शुंग वंश के दौरान बौद्ध और हिंदू कला का विकास हुआ।
  • अंततः 75 BCE में कण्व वंश ने शुंग वंश को समाप्त कर दिया।







PDF के लिये इस लिंक पर क्लिक करें ----Shung Dynasty.pdf







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