मध्य प्रदेश का मध्यकालीन इतिहास
मध्य प्रदेश का मध्यकालीन इतिहास शक्ति, संघर्ष और संस्कृति का एक अद्भुत संगम है। इस काल में यहाँ कई क्षेत्रीय राजवंशों, मुस्लिम सल्तनतों, मुग़लों और मराठों का प्रभाव देखा गया। इस युग ने मध्य प्रदेश की वास्तुकला, कला और प्रशासनिक संरचना को एक नई पहचान दी।
🏰 प्रारंभिक मध्यकाल: क्षेत्रीय राजवंशों का प्रभुत्व
गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद मध्य भारत में कई स्वतंत्र राजवंशों का उदय हुआ। इनमें प्रमुख थे — परमार, चंदेल, कलचुरी और गुर्जर-प्रतिहार।
- परमार वंश (800–1300 ई.): धार और मांडू इनकी राजधानी थी। राजा भोज (1010–1055 ई.) सबसे प्रसिद्ध शासक थे, जिन्होंने भोजशाला की स्थापना की और शिक्षा, कला, विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया।
- चंदेल वंश: इनके शासन में खजुराहो के अद्भुत मंदिरों का निर्माण हुआ, जो आज UNESCO विश्व धरोहर हैं।
- कलचुरी वंश: जबलपुर और त्रिपुरी इनके प्रमुख केंद्र रहे।
⚔️ दिल्ली सल्तनत और मालवा सल्तनत का उदय
13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत का प्रभाव बढ़ा और मध्य प्रदेश का बड़ा भाग उसके अधीन आ गया। परंतु धीरे-धीरे क्षेत्रीय सुल्तानों ने स्वतंत्रता प्राप्त की और मालवा सल्तनत (1401 ई.) की स्थापना हुई।
- दिलावर खाँ गौरी ने मांडू को राजधानी बनाया और मालवा सल्तनत की नींव रखी।
- होशंग शाह (1406–1435 ई.) ने अनेक भव्य स्थापत्य कार्य करवाए — जैसे होशंग शाह का मकबरा और मांडू का किला।
- महमूद खिलजी और उनके वंशजों ने कला, साहित्य और स्थापत्य को प्रोत्साहित किया।
💞 मांडू का स्वर्ण युग और रानी रूपमती–बाज बहादुर की कहानी
16वीं शताब्दी में बाज बहादुर मालवा के अंतिम अफगान शासक बने। उनकी प्रेम कहानी रानी रूपमती के साथ मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे प्रसिद्ध अध्याय है।
मांडू की पहाड़ियों पर स्थित रूपमती मंडप आज भी उनके अमर प्रेम की गवाही देता है। यह काल कला, संगीत और रोमांटिक लोककथाओं के लिए प्रसिद्ध रहा।
🏹 मुग़ल काल में मध्य प्रदेश
1561 ईस्वी में अकबर ने मांडू पर अधिकार कर लिया और मालवा सल्तनत समाप्त हो गई। इसके बाद मध्य प्रदेश के अधिकांश भाग मुग़ल शासन के अधीन आ गए।
- ग्वालियर मुग़ल साम्राज्य का एक प्रमुख सैन्य केंद्र बना।
- मांडू और उज्जैन सांस्कृतिक दृष्टि से विकसित हुए।
- बुरहानपुर मुग़ल काल में एक महत्वपूर्ण शहर था — जहाँ औरंगज़ेब ने कई वर्षों तक निवास किया।
⚔️ मराठों का उदय और मध्य प्रदेश पर नियंत्रण
18वीं शताब्दी के मध्य में मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद मराठों का प्रभाव तेज़ी से बढ़ा।
- होळकर (इंदौर) और सिंधिया (ग्वालियर) वंश ने मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से पर शासन किया।
- महादजी सिंधिया और अहिल्याबाई होळकर का शासन इस काल का स्वर्ण युग माना जाता है।
- अहिल्याबाई ने इंदौर को विकसित नगर बनाया और वाराणसी, उज्जैन, सोमनाथ जैसे धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण कराया।
🏯 स्थापत्य और सांस्कृतिक विकास
मध्यकालीन मध्य प्रदेश में स्थापत्य कला का अद्भुत विकास हुआ। मांडू, ग्वालियर, चंदेरी, बुरहानपुर और ओरछा में बने किले, महल और मस्जिदें इस युग की वास्तुकला का परिचायक हैं।
- मांडू का जहाज महल – जलाशयों के बीच बना सुंदर महल।
- ग्वालियर किला – भारत के सबसे विशाल किलों में से एक।
- ओरछा महल – बुंदेला स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण।
📚 निष्कर्ष
मध्यकालीन काल ने मध्य प्रदेश को सांस्कृतिक, धार्मिक और स्थापत्य दृष्टि से नई ऊँचाइयाँ दीं। यहाँ के शासकों ने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि कला, संगीत और स्थापत्य की एक अमर विरासत भी छोड़ी।
मांडू की प्रेमगाथाएँ, ग्वालियर के किले की शक्ति, और इंदौर की मातृसत्ता – ये सब मिलकर मध्य प्रदेश के मध्यकालीन इतिहास को गौरवशाली बनाते हैं।

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