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मध्य प्रदेश का प्राचीन इतिहास | Ancient History of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश का प्राचीन इतिहास | Ancient History of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश का प्राचीन इतिहास

मध्य प्रदेश न केवल भारत का भौगोलिक हृदय है बल्कि इतिहास और सभ्यता के दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्त्व रहा है। यहाँ की धरती ने मानव सभ्यता के आरंभिक चरणों से लेकर महान साम्राज्यों के उत्थान और पतन तक की कई कहानियाँ देखी हैं।

🪔 प्रारंभिक सभ्यताएँ और पुरातात्त्विक प्रमाण

मध्य प्रदेश के कई स्थानों पर पाषाण युग (Stone Age) के उपकरण और गुफा चित्र मिले हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि यहाँ मानव बस्तियाँ बहुत प्राचीन काल से विद्यमान थीं।

सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हैं — भीमबेटका की गुफाएँ (जिला रायसेन), जिन्हें UNESCO विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। इन गुफाओं में पाए गए चित्र लगभग 30,000 वर्ष पुराने हैं और इनमें मानव जीवन, शिकार, नृत्य और दैनिक गतिविधियों का सुंदर चित्रण है।

🏺 प्राचीन जनपद और सभ्यताएँ

वैदिक और उत्तरवैदिक काल में मध्य प्रदेश क्षेत्र में कई प्रमुख जनपद स्थापित हुए थे। इनमें प्रमुख थे:

  • अवन्ति (Avanti): इसका केंद्र उज्जैन था, जो प्राचीन भारत के छह महाजनपदों में से एक था। यह नगर व्यापार, संस्कृति और खगोलशास्त्र का प्रमुख केंद्र रहा।
  • चेदि जनपद: वर्तमान बुंदेलखंड और दमोह क्षेत्र में स्थित था। इसके राजा शिशुपाल का उल्लेख महाभारत में मिलता है।
  • विदिशा (Besnagar): यह नगर मौर्य काल में अत्यंत प्रसिद्ध था और यहाँ से कई प्राचीन मूर्तियाँ व स्तंभ मिले हैं।
  • दशार्ण (Dasarna): यह क्षेत्र वर्तमान मालवा और नर्मदा घाटी के बीच स्थित था।

👑 मौर्य और शुंग काल

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने जब मौर्य साम्राज्य की स्थापना की, तब मध्य प्रदेश का अधिकांश भाग उसके अधीन था। सम्राट अशोक का शासनकाल इस क्षेत्र के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा, क्योंकि अशोक का युवराज काल भी उज्जैन में बीता था।

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद शुंग वंश ने सत्ता संभाली। विदिशा उनका मुख्य केंद्र था। यहाँ से प्राप्त “हेलियोडोरस स्तंभ” (Heliodorus Pillar) भारतीय और यूनानी संस्कृति के मिलन का प्रतीक है।

⚔️ सातवाहन, नाग और गुप्त वंश

मौर्यों के बाद सातवाहन वंश का प्रभाव दक्षिणी मध्य प्रदेश तक फैल गया। तत्पश्चात नाग वंश ने विदिशा और ग्वालियर के आस-पास शासन किया।

चौथी शताब्दी में गुप्त वंश का शासन स्थापित हुआ। सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया, जहाँ से विक्रम संवत का प्रारंभ माना जाता है। यह काल कला, साहित्य और विज्ञान की दृष्टि से स्वर्ण युग कहलाता है।

🕉️ धार्मिक और सांस्कृतिक विकास

प्राचीन काल में मध्य प्रदेश में हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म का समान रूप से विकास हुआ।

  • सांची स्तूप – अशोक द्वारा निर्मित, बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र।
  • देवगढ़ और खजुराहो – हिंदू और जैन मंदिर स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण।
  • उज्जैन – ज्योतिष और खगोलशास्त्र का केंद्र, जहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।

🏰 प्राचीन नगर और व्यापारिक मार्ग

मध्य प्रदेश प्राचीन काल में उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम व्यापार मार्गों का संगम बिंदु था। उज्जैन, विदिशा, इंदौर और महेश्वर जैसे नगर व्यापार और संस्कृति के प्रमुख केंद्र रहे।

📚 निष्कर्ष

मध्य प्रदेश का प्राचीन इतिहास विविधता और वैभव से भरा हुआ है। यहाँ की सभ्यता ने न केवल मध्य भारत बल्कि सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भीमबेटका की गुफाओं से लेकर सांची के स्तूपों और उज्जैन के मंदिरों तक — यह भूमि भारत की अनादि सांस्कृतिक धारा का जीवंत साक्ष्य है।


मध्य प्रदेश का प्राचीन इतिहास

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